धर्मसूत्रों की दृष्टि में वानप्रस्थों के निष्कर्म
देवनारायण पाठक एवं प्रीति 05-09
भारतीय संस्कृति में व्रतपर्वोत्सव का स्वरूप एवं महत्त्व
श्रीकान्त मिश्र 10-13
गाँधी के सामाजिक चिंतन में सर्वोदय का व्यावहारिक स्वरूप: एक विवेचन
राजीव कुमार सिंह 28-32
अयोध्या की जैन परंपरा
दिवाकर त्रिपाठी एवं शालिनी मिश्रा 33-37
वृृत्त चित्र और राज्यः आनन्द पटवर्धन का सिने सफर
अंकित पाठक 51-66
भगवत्गीता के दर्शन की प्रासंगिकता
सतीश चन्द्र तिवारी 67-71
श्रावस्ती जनपद में शस्य वितरण प्रतिरूप का स्थानिक-कालिक अध्ययन
श्रवण कुमार शुक्ल 72-79
आचार्य विशुद्धानन्द प्रणीत गोकरूणानिधि काव्यम्: एक मार्मिक विचेचन
उषा 80-87
त्रिपिटक साहित्य में विनय पर तथागत की देशना (उपासक एवं उपसिकाओं के सन्दर्भ में)
माधुरी कुशवाहा 88-98
Revisiting Mediaeval Sinhalese Art in theLight of A.K. Cooamaraswamy’s Indian Art Historiographical Perspectives
Vipul Tiwari 106-111Perception of Inclusive Education by Primary School Teacher and Parents
Sanjay Kumar Singh 112-119Tradition of Film Remake in Odisha: Study of the Odia film industry in Post Globlaisation Era
Telaram Meher & Pradosh Kumar Rath 120-130· A critical study of john hick's theory of Religious pluralism