Monday, 31 March 2008

परमाणु करार एवं भारत


बैजनाथ दुबे
सदस्य विधान सभा, उत्तर प्रदेश |


              भारत द्वारा अमेरिका एवं एन0एस0जी0 देशों से जो करार किया गया है, वह भारत के हित में है। इस करार सें भविष्य में भारत की घरेलू ऊर्जा की आवश्यकता काफी हद तक पूरी हो सकेगी। वर्तमान समय में भारत के पास 4000 मेगावाट परमाणु विद्युत ऊर्जा उत्पादन करने की क्षमता है। अनुमान है कि देश में जितना यूरेनियम भण्डार उपलब्ध है उससे आसानी से 40 वर्षों तक 10,000 मेगावाट परमाणु विद्युत उत्पन्न किया जा सकता है। अगले दो दशकों में भारत के लिए आवश्यक 60,000 मेगावाट विद्युत ऊर्जा की पूर्ति सम्पोषणीय तरीके से परमाणु ऊर्जा से ही सम्भव हो सकती है। पूर्व राष्ट्रपति डाॅ0 कलाम के अनुसार 2020 तक यदि भारत 20,000 मेगावाट परमाणु विद्युत ऊर्जा उत्पादित करता है तो वह प्रतिवर्ष 145 मिलियन टन कार्बन डाई-आक्साइड को वायुमण्डल में उत्सर्जित होने से बचा सकता है।
               भारत पर वर्ष 1974 में पोखरण विस्फोट के बाद से पाबन्दी लगी है जिसके कारण वह परमाणु ईंधन उपकरण और उच्च प्रौद्योगिकी प्राप्त करने मेें असहाय हो गया। यहाँ तक कि रूस के द्वारा क्रायोजेनिक इंजन निर्माण में प्रयुक्त यूरेनियम के प्रयोग पर अमेरिकी चेतावनी के बाद रूस हिम्मत नहीं जुटा सका और भारत को स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन बनाने में 15 साल लग गये। रूस के मदद सेे 2 परमाणु ऊर्जा रिएक्टर तो बना लिए गए थे, पर अब केरल के कुन्डलकुलम में चार रिएक्टर और लगाने के लिए एन0एस0जी0 देशों के सामने रूस भी हिम्मत नहीं कर पा रहा है।  यहाँ तक कि डी0आर0डी0ओ0 की मिसाइल परियोजना लम्बित होती गई और उसकी लागत भी बढ़ गई। जो देश मित्रता की वजह से ईंधन देना चाहते थे वो अन्तर्राष्ट्रीय पाबन्दी के कारण मुह फेरने लगे। अब हमें रूस फ्राँस जैसे तमाम 40 देशों के साथ व्यापार करने की स्वतंत्रता मिल जायेगी और हमारे वैज्ञानिक व उनके द्वारा शोध की कई परियोजनाओं को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी क्षमता दिखाने का मौका मिलेगा। जो परमाणु रिएक्टर यूरेनियम की कमी से जूझ रहे थे (कई रिएक्टर तो 30 प्रतिशत की क्षमता भी नहीं बना पाए थे) वे सब विकसित हो जाएगें।
                     जहाँ तक विस्फोट की बात है कि भारत 2 बार विस्फोट कर चुका हैं। तो ध्यान रहे कि अभी विस्फोटों की हमें आवश्यकता नहीं है तथा जो प्रतिबन्ध अन्य देशों पर है वही हमारे ऊपर भी रहेगा। हमारे द्वारा भी परमाणु बम बनाने की तकनीक का प्रयोग शान्तिपूर्ण कार्यों के लिए किया जायगा।
भारत एक विकासशील देश है। उसे प्रचुर मात्रा में विद्युत नहीं मिल पा रहा है। जिससे कल कारखानों में उत्पादन होने वाले वस्तुओं की लागत अधिक हो जाती है और अन्तर्राष्ट्रीय बाजार की प्रतिस्पद्र्धा के मूल्यों में हम नहीं ठहर पाते हैं। जिन देशों में विद्युत की उपलब्धता के कारण उत्पादन अधिक होता है वहाँ उत्पादित होने वाली वस्तुओं का  मूल्य कम है। वर्तमान में मौसम के बदलाव के कारण विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता खेती किसानी में भी अधिक होने लगी है। इससे अनाज की लागत अधिक आ रही है तथा हमारे अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर पड़ रहा है। परमाणु करार से ऊर्जा की बढ़ती माँग पूरा हो सकेगी। इसके अतिरिक्त चिकित्सा, जैव प्रौद्योगिकी, मौसम विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान आदि क्षेत्रों को भी फायदा होगा। साथ ही जिस पर्यावरण के लिए हम विश्व में खतरनाक बन रहे थे उससे भी निजात मिल जायेगी।
                     पानी की कमी के कारण भी बिजली भरपूर नहीं मिल पाती है। भारत के पास विश्व का 1/3 भाग थोरियम का भण्डार मौजूद हैं। इसके दोहन के लिए संयत्रों की आवश्यकता होगी। भारत के पास जो यूरेनियम उपलब्ध है वह उच्च क्वालिटी का नहीं है तथा अन्तर्राष्ट्रीय बाजार से महँगा है। परमाणु करार करके भारत इन तमाम समस्याओं से निजात पाते हुए विश्व की दौड़ती हुई अर्थव्यवस्था में पूरी तत्परता एवं आत्मविश्वास से में हर स्तर मंे सम्मिलित हो सकता है।
                     जो लोग कह रहें हैं कि भारत ने परमाणु परीक्षण करने का अधिकार खो दिया है। वह जनता को भ्रम में डाल रहे हैं। कोई भी सम्प्रभु राष्ट्र परीक्षण कर सकता है। इसके अतिरिक्त अन्य दलों का विरोध इस लिए है कि कदाचित सरकार गिरती है, तो सब मिलकर मुझे प्रधानमन्त्री बना देंगे।
अतः हम कह सकते हैं कि परमाणु करार प्रत्येक दृष्टि से भारत के हित में है इससे हम सस्ती एवं अधिक विद्युत उत्पादन करके विश्व की दौड़ती हुई अर्थव्यवस्था की प्रतिस्पर्धा में शामिल हो सकेगें तथा काफी मात्रा में निवेशक हमारे देश में आयेंगे इससे रोजगार का अवसर मिलेगा तथा जो हमारे रक्षा प्रतिष्ठान बाधित थे उन्हें उच्च प्रौद्योगिकी विकसित करने में मदद मिलेगी तथा विशेष करके वैश्विक ऊर्जा की सुरक्षा तथा जलवायु परिवर्तन के दंश को भी झेलने से विश्व बच सकता है। भारत भी विश्व-बिरादरी से अलग रह कर खोने के अतिरिक्त कुछ नहीं प्राप्त कर सकता है।

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